*जलवानपुरा में अब नाव नहीं, राहत चलेगी-महापौर,*अयोध्या।
रामनगरी के नाम पर करोड़ों की योजनाएं बनती हैं, ट्रायल और उद्घाटन होते हैं, तामझाम दिखाया जाता है लेकिन जनता का दर्द वैसा का वैसा ही बना रहता है। राम मंदिर से महज एक किलोमीटर दूर स्थित जलवानपुरा मोहल्ला एक बार फिर बरसात में तालाब में तब्दील हो गया, जबकि प्रशासन ने दावा किया था कि अब यहां जलभराव की कोई शिकायत नहीं होगी।
37 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए अत्याधुनिक पंप हाउस की वाहवाही पूरा प्रशासन कर चुका हैं। दावा था कि महज तीन मिनट में 30 हजार लीटर पानी निकाल कर उसे तीन किलोमीटर दूर नाले में भेज दिया जाएगा। ट्रायल के बाद बारिश हुई तो इस बार की बारिश में फिर वही पुराने दृश्य लौट आए गलियों में पानी, घरों में घुटनों तक जल, और स्थानीय लोग फिर उसी तरह लाचार। लेकिन नगर निगम का कहना है कि एक पम्प ने महज 3 घण्टे में 30 हजार लीटर पानी 3 किमी दूर निकाल दिया।
आश्चर्यजनक यह है कि ट्रायल सफल होने का दावा खुद महापौर और एडीए के अफसरों की मौजूदगी में किया गया था। मगर हकीकत में जब पानी निकासी की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी तो जनता परेसान रही तो ट्रायल वाला पम्प चला फिर क्या था नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी के अनुसार जो समस्या तीन दिन तक रहती वह तीन घण्टे में खत्म हो गयी। जानकारों का कहना है कि लो लैंड होने के कारण जलवानपुरा में यह समस्या हमेशा रहेगी लेकिन पम्प तो तभी चलेगा जब जलभराव होगा। मतलब की पानी निकलने के लिए जलभराव होना चाहिए।
*प्रशासन एक-दूसरे पर टाल रहा ज़िम्मेदारी*
एडीए के अधिशासी अभियंता कहते हैं कि अक्टूबर तक प्रोजेक्ट नगर निगम को सौंपा जाएगा, जबकि नगर निगम के अफसर कहते हैं जब तक जिम्मेदारी हमारे पास नहीं आती, हम क्या करें? सवाल ये है कि अगर जनता फिर से डूब रही है, तो उसे इससे क्या फर्क पड़ता है कि जिम्मेदार कौन है?महापौर गिरीशपति त्रिपाठी और कमिश्नर गौरव दयाल दोनों ने जनता के सामने वादे किए थे कि अब नाव नहीं, राहत चलेगी।
*व्यवस्था का असली चेहरा उजागर*
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि कागजों में चलने वाली योजनाएं और जमीन पर टपकती बूंदों के बीच कितना बड़ा फर्क है। जलवानपुरा का यह जलभराव सिर्फ पानी नहीं है, यह सिस्टम की निकम्मी प्लानिंग और जिम्मेदार अफसरों की असंवेदनशीलता का आईना है। करोड़ों की योजनाएं तब तक बेमतलब हैं जब तक जनता राहत न महसूस करे। अब सवाल यह है जलवानपुरा कब उबरेगा? और क्या वाकई ये पंप सिर्फ ट्रायल के लिए बनाए गए थे?