गांधी पार्क में आयोजित सभा में उठी पुनर्नियोजन की मांग, ज्ञापन सौंपा गया मुख्यमंत्री को
अयोध्या।25 जुलाई 2017-यह दिन उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के जीवन में त्रासदी बनकर आया था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के तकनीकी निर्णय के बाद 1.37 लाख शिक्षामित्रों का शिक्षक पद एक झटके में समाप्त कर दिया गया।इसी पीड़ा को याद करते हुए उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने शुक्रवार को सिविल लाइन स्थित गांधी पार्क में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की। कार्यक्रम में जनपद भर से आए शिक्षामित्रों ने अपने दिवंगत साथियों की आत्मशांति के लिए कैंडल जलाकर मौन प्रार्थना की और छह सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा।
10,000 से अधिक शिक्षामित्रों की असामयिक मृत्यु पर शोकसंघ के जिला अध्यक्ष दुर्गेश मिश्र ने बताया कि विगत आठ वर्षों में आर्थिक तंगी, मानसिक अवसाद और बीमारियों के चलते 10,000 से अधिक शिक्षामित्रों की असामयिक मृत्यु हो चुकी है।उन्होंने सवाल उठाया कि अगर शिक्षामित्र अयोग्य थे तो 2017 के बाद राज्य में 26,000 विद्यालय क्यों बंद करने पड़े? और यदि योग्य थे तो उन्हें पुनः शिक्षक पद पर नियुक्त कर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को फिर से मजबूत किया जाए।
महिला शिक्षामित्रों की भी पीड़ा सामने आई
सभा में महिला शिक्षामित्रों ने कहा कि वर्ष 2001 से अपनी जवानी शिक्षा सेवा में अर्पित करने के बावजूद आज उनका मानदेय दैनिक मजदूर से भी कम है, जबकि वे प्रशिक्षित और स्नातक हैं।महिला मोर्चा पदाधिकारियों ने महिला शिक्षामित्रों के स्थानांतरण में विभागीय उदासीनता पर भी नाराजगी जताई।
मंडल उपाध्यक्ष राम प्रगति शर्मा ने कहा कि भीषण गर्मी में शिक्षामित्रों से समर कैंप में सेवा ली गई, जबकि स्थायी शिक्षक छुट्टियों में हिल स्टेशनों पर थे। 6000 रुपये का भत्ता आज तक नहीं मिला है।सभा के अंत में शिक्षामित्रों ने गांधी प्रतिमा के समक्ष कैंडल मार्च कर दिवंगत साथियों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।इस अवसर पर जिला अध्यक्ष दुर्गेश मिश्र, मीडिया प्रभारी आशीष श्रीवास्तव, मंडल उपाध्यक्ष राम प्रगति शर्मा, शैलेंद्र पांडे, साधना पांडेय, कल्पना तिवारी, सहित दर्जनों शिक्षामित्र उपस्थित रहे।