अयोध्या।
फैजाबाद सिविल कोर्ट की नई बहुमंजिला बिल्डिंग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शुक्रवार को सातवीं मंज़िल पर सुनवाई के लिए आए पुहंपी बीकापुर निवासी पारस नाथ निषाद की मौत हो गई। पहली नजर में अत्यधिक गर्मी और पानी की अनुपलब्धता से उनकी हालत बिगड़ने की बात कही जा रही है।
कोर्ट परिसर में मौजूद अधिवक्ताओं और अन्य वादकारियों ने मौके पर अव्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई। अधिवक्ताओं का कहना है कि नई बिल्डिंग में सुविधा कम और दिखावा ज्यादा है। न तो किसी मंज़िल पर पीने के पानी की समुचित व्यवस्था है, न ही वृद्ध और बीमार लोगों के लिए कोई सहूलियत। गर्मी और उमस भरे इस मौसम में लोगों को बिना लिफ्ट या ठंडे पानी के सात-आठ मंज़िल चढ़ना पड़ता है। अधिवक्ताओं का आरोप है कि वे कई बार इन समस्याओं को लेकर प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
पारस नाथ निषाद की मौत एक चेतावनी है कि यदि सुधार न हुआ तो और भी जानें जा सकती है। सवाल उठता है कि क्या न्याय का यह मंदिर केवल ईंट-पत्थर का दिखावटी किला बनकर रह गया है, जिसमें न इंसानियत बची, न संवेदना? घटना के बाद से अधिवक्ताओं में आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही कोर्ट परिसर में पानी, लिफ्ट, वेंटिलेशन जैसी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। कचहरी की दीवारों में इंसाफ की गूंज होनी चाहिए, तो वहां पीने का पानी और इंसानी गरिमा की बुनियादी सुविधाएं भी होनी चाहिए। वरना न्याय के पहले ही पायदान पर लोग दम तोड़ते रहेंगे।