समीर शाही
अयोध्या।नगर निगम अयोध्या में हाल की घटना बताती है कि यहां सिर्फ सड़क, नाली, पानी की बातें नहीं होती बल्कि सत्ता के शतरंज की गोटियां भी खूब चली जाती हैं।महापौर के अचानक कार्यकारिणी गठन की बात छेड़ना इस बात का संकेत है कि अब निगम में कोई नया समीकरण बन रहा है-शायद ऐसा समीकरण जिसमें विपक्ष को अनदेखा करना रणनीति का हिस्सा है। लेकिन यह भी सवाल खड़ा करता है कि कहीं निगम का असली संचालन किसी परदे के पीछे बैठे नगर निगम के चाणक्य” के हाथ में तो नहीं?विशाल पाल का प्रेसवार्ता में आक्रामक तेवर अपनाना इस बात का संकेत है कि विपक्ष अब चुप बैठने को तैयार नहीं। लेकिन असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है विकास के नाम पर राजनीति, जाति के नाम पर भावनात्मक ध्रुवीकरण और जय श्रीराम बनाम जन गण मन की नई बहस। अब देखना यह होगा कि महापौर किस विधिक सलाह से नई बिसात बिछाते हैं, और विपक्ष उसका कौन सा पांसे से जवाब देता है।