अयोध्या।जहां एक ओर भारी बारिश ने जनपद को जलथल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर जिंगल बेल एकेडमी ने अपने नाम के अनुरूप नियमों की घंटियाँ बजा दी हैं। जिलाधिकारी के स्कूल बंदी के आदेश को इस प्रतिष्ठित विद्यालय ने ऐसे अनसुना कर दिया जैसे बच्चे होमवर्क को करते हैं।
बारिश कहे -बस करो, स्कूल बोले- नहीं जी, क्लास जरूरी है।
सिविल लाइन में जलजमाव का आलम ये है कि नाव नहीं, तो कम से कम राफ्टिंग की सुविधा होनी चाहिए थी, पर जिंगल बेल ने पढ़ेगा इंडिया की ऐसी अलख जलाई कि बच्चे अब बस्ते के साथ लाइफ जैकेट लेकर स्कूल आ रहे हैं। माँ-बाप बच्चों को स्कूल नहीं, बल्कि युद्ध क्षेत्र भेजने की चिंता में घबराए हुए हैं-बेटा तख्त पर पैर जमा के चलना, फिसले तो सीधे विज्ञान लैब में गिरोगे!
प्रशासन? वही जो गूगल मैप की तरह दिखता तो है, पर काम नहीं करता।
स्कूल के अंदर प्रिंसिपल साहब का साफ बयान आया:
हम बच्चों के भविष्य से कोई समझौता नहीं करेंगे। सरकार के आदेश से ज्यादा जरूरी है हमारा टाइमटेबल।
सूत्रों की मानें तो स्कूल प्रशासन को डर है कि एक दिन की छुट्टी हो गई, तो बच्चा ट्रिग्नोमेट्री की जगह टिक-टॉक सीख जाएगा। और फिर कहां बचेगा एजुकेशन सिस्टम?
कभी-कभी लगता है कि ये स्कूल नहीं, ‘प्राइवेट संविधान’ है।
जिले के तमाम अधिकारियों के बच्चे यहाँ पढ़ते हैं, तो कौन कहेगा कि नियम सब पर लागू होते हैं?
बाहर की दुनिया बारिश से लड़ रही है, और अंदर की दुनिया CBSE के सिलेबस से।
इस विद्यालय ने फिर सिद्ध कर दिया कि नियम गरीबों के लिए होते हैं, और जिंगल बेल्स, जिंगल बेल्स, लॉ फॉरगेट्स ऑल द वे!
अभी तो बारिश है, कभी आग लगेगी तो शायद स्कूल अग्निशमन की जगह फिजिक्स का प्रयोग करा दे —आग को बुझाओ, और बताओ न्यूटन का कौन सा नियम लागू हुआ?