अयोध्या।
यदि हमें समावेशी विकास वास्तविक रूप में प्राप्त करना है तो अर्थव्यवस्था के सभी वर्ग के वंचितों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना होगा। आज भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख समस्या वितरण की समस्या है चाहे वह आय एवं सम्पत्ति का वितरण हो या अवसर की उपलब्धता रही हो अर्थव्यवस्था में निरन्तर प्रयास के बावजूद हम सम्पत्ति के बँटवारे को लेकर विपन्न एवं सम्पन्न वर्ग की खाई को भर सकने में सफल नही हो सके हैं। उक्त विचार डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने भारतीय आर्थिक परिषद की 105 वीं राष्ट्रीय वार्षिक अधिवेशन में व्यक्त किया।
बता दे कि राष्ट्रीय अधिवेशन की शोध शीर्षक “समावेशी विकास के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता पर अपना उद्बोधन प्रस्तुत करने हेतु रिसोर्स पर्सन (मुख्य वक्ता) के रूप में प्रो0 श्रीवास्तव को 28 दिसम्बर को पं० श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय राँची, छत्तीसगढ़ में आमन्त्रित किया गया था।
105 वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव को “भारतीय आर्थिक परिषद की नीतियों के निर्धारण हेतु कार्य परिषद का सम्मानित सदस्य भी चुना गया। सन् 1985 से स्थापित अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रो० श्रीवास्तव विभाग एवं विश्वविद्यालय के लिए यह उपलब्धि प्राप्त करने वाले प्रथम शिक्षक रहे हैं। भारतीय आर्थिक परिषद भारत देश के आर्थिक क्षेत्र की 1917 से स्थापित बहुत ही पुरानी शीर्ष संस्था है। जिसमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ० मनमोहन सिंह, नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो० अमर्त्य सेन, अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो० आर० के० मुखर्जी, प्रो० सी० एन० वकील, डी० आर० गाडगिल, जे० पी० नियोगी, प्रो० बी० के० आर० वी० राव, प्रो० बी० आर० सिनोई, प्रो० डी०टी० लकड़वाला, प्रो० आई० जी० पटेल, प्रो० पी० आर० ब्रहानन्द, प्रो० सी० रंगराजन, प्रो० कौशिक वसु के साथ गौतम माथुर, प्रो० एस० के० थोरट आदि ने अपनी सहभागिता प्रदान की है। प्रो0 श्रीवास्तव की इस उपलब्ध से निश्चित रूप से भारतीय आर्थिक नीतियों के निर्धारण में अवध क्षेत्र की सहभागिता भी सुनिश्चित हो सकेगी।
उनकी इस उपलब्धि पर विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो० आशुतोष सिन्हा, प्रो० मृदुला मिश्रा, डॉ० प्रिया कुमारी, प्रो० शैलेन्द्र कुमार, डॉ० अनिल कुमार, फाईन आर्ट्स विभाग की डॉ० सरिता द्विवेदी, श्रीमती रीमा सिंह, सरिता सिंह, आशीष प्रजापति, संगीत विभाग की कविता पाठक तथा डॉ० राना रोहित सिंह, डॉ० संग्राम सिंह के साथ परिसर के आचार्य, उपाचार्य, सहायक आचार्य एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों ने हर्ष जताते हुए अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं।