अयोध्याउत्तर प्रदेशधर्म

नाग पंचमी को आस्तीकन मन्दिर में लगता है श्रद्धालुओं का मेला

गहनाग मन्त्र से ठीक होगा सर्प का जहर नही तो सांप के फन के होंगे सैकड़ो टुकड़े

 

अयोध्या
अयोध्या श्रीराम मंदिर से 42 किमी दूर मिल्कीपुर तहसील के गांव गहनाग स्थित गहनागदेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। सावन महीने के सोमवार को यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नागपंचमी के अवसर पर यहां विशाल मेला लगता है। जिसमें पडोस के कई जिलों के श्रद्धालु नागदेवता को दूध और धान का लावा चढ़ाते हैं तथा नागों से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं।

क्या है पौराणिक कथा
बता दे कि सर्पभय से मुक्ति के लिए पौराणिक गहनाग व रायपट्टी के आस्तीक मंदिर में हर सोमवार और शुक्रवार को मेला लगता है जिसमें दूर-दराज से ग्रामीण व अन्य जिले के श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यहां प्रसाद के रूप में महिलाएं पूड़ी व हलवा चढ़ाती हैं। क्षेत्रीय लोगों का विश्वास है कि सांप काटने पर नियत समय में मंदिर प्रांगण में पहुंच कर चबूतरे के चारों ओर सात परिक्रमा करने से सांप का विष कम हो जाता है। किसी भी स्थान पर सांप निकल रहे हों तो पीड़ित व्यक्ति एक मुट्ठी सरसों मंदिर में चढ़ा कर शेष सरसों वापस ले जाकर सांप निकलने वाले स्थान पर फेंक देने पर सांप निकलना बंद हो जाते हैं।

खास बात यह है कि बीते एक दशक में सांप काटने से आने वाले लगभग 10 हजार से अधिक मरीज ठीक हो चुके हैं। मंदिर के पुजारी राम बिहारी तिवारी बताते हैं कि गत वर्ष गहनाग बाबा की कृपा से 874 लोग ठीक हुए तथा इस वर्ष मार्च से लेकर 24 जुलाई तक 607 लोग ठीक हो चुके हैं।

श्रीमदभागवत में है सर्प दंश से मुक्ति की चर्चा
सर्पाय सर्पभद्रं ते गच्छ दूरमहाविष:।
मन्दिर के पुजारी तिवारी श्रीमदभागवत के श्लोक का उद्धरण देते हुए कहते हैं कि ‘सर्पाय सर्पभद्रं ते गच्छ दूरमहाविष:। जन्मेजयस्य यज्ञान्ते आस्तीक वचने स्मर।’ उनके अनुसार गह का अर्थ पकड़ना और नाग का अर्थ सांप से है। गहनाग का अर्थ सांपों के जहर को पकड़ना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जरात्कारु मुनि का विवाह वासुकी नाग की बहन के साथ हुआ था। कालांतर में उनको आस्तीक नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। उनको ही गहनाग के नाम से जाना जाता है। जन्मेजय के नागयज्ञ में हुए समझौते के अनुसार वासुकी और गहनाग के नाम से बने मंत्रोच्चार से सांप का जहर ठीक हो जायेगा अन्यथा काटे हुए सांप के फन के हजार टुकडे़ हो जाएंगे।

Sameer Shahi

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