अयोध्या।
सरयू आज चुप है, लेकिन उसका पानी हर रात चीखता है। जिस पावन नदी को मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने आचमन से पवित्र किया, उसी की छाती पर खनन माफिया जेसीबी और डंपरों से रोज़ाना वार कर रहे हैं और शासन-प्रशासन मौन है।
बता दें कि सदर क्षेत्र से लेकर रौनाही, बीकापुर और मिल्कीपुर तक जहां-जहां सरयू की धारा जाती है, वहां-वहां रात के अंधेरे में चलती है बालू की अवैध खुदाई। नकली परमिशन, फर्जी पट्टे, और किसानों के नाम पर जारी किए गए कागज़ों की आड़ में एक ऐसा सुनियोजित रैकेट काम कर रहा है, जिसमें प्रशासनिक अमले की चुप्पी सबसे बड़ा प्रमाणपत्र बन गई है।
हर रात जेसीबी और पोकलैंड मशीनें सरयू में उतारी जाती हैं। गंगा प्रदूषण अधिनियम से लेकर पर्यावरण संरक्षण कानून तक सब धरे के धरे रह जाते हैं। सुबह तक सैकड़ों डंपर बालू भरकर निकल जाते हैं और पुलिस चौकी, थाना, और तहसील से लेकर जिले तक कहीं कोई रोक नहीं।
सूत्र बताते हैं कि इस बालू खेल में राजनीतिक संरक्षण और अफसरशाही का गठजोड़ किसी खुले रहस्य से कम नहीं। कागज़ पर सरयू शांत है, ज़मीन पर सरयू घायल। अब सवाल ये है जब नदी लहूलुहान होगी, तो खेत कैसे बचेंगे? जब प्रशासन बिकेगा, तो जनता किसके पास जाएगी।