सरकारी आंकड़ों में गुलाबी, जमीनी सच्चाई में बदरंग- 10 वर्षों से आवास के इंतजार में संगीता देवी

बीकापुर -अयोध्या।
सरकारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे हैं, दावे किताबी हैं..
यह शेर ग्राम पंचायत पातूपुर के मैना पडाईन का पुरवा निवासी संगीता देवी की दशा पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सरकारी फाइलों में गांव विकास की राह पर अग्रसर है, लेकिन हकीकत में संगीता जैसी गरीब, असहाय और जरूरतमंद महिला 10 वर्षों से एक छत की आस में दर-दर भटक रही है।प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) जैसी कल्याणकारी योजनाएं भले ही हर गरीब को छत देने का दावा करती हों, लेकिन संगीता देवी का जीवन इन दावों की पोल खोलता नजर आता है। अनुसूचित जाति की इस महिला ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर बताया कि उसे अभी तक एक अदद मकान तक नहीं मिला है, जबकि वह करीब 10 साल से इसके लिए लगातार प्रयासरत है।
संगीता देवी ने अपनी झोपड़ी की तस्वीरें भी मुख्यमंत्री पोर्टल पर साझा की हैं, जिसमें वह अपने बच्चों के साथ घास-फूस की अस्थायी झोंपड़ी में जीवन गुजारने को मजबूर है। उसका कहना है कि मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह गुजारा होता है, लेकिन पक्के मकान का सपना अब तक अधूरा है।
शिकायत में संगीता देवी ने ग्राम पंचायत और विकासखंड स्तर के अधिकारियों पर अनदेखी और उपेक्षा का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कई बार गुहार लगाने के बावजूद न तो सर्वे हुआ और न ही कोई आर्थिक सहायता मिली।
स्थानीय क्षेत्र पंचायत सदस्य राहुल दुबे ने भी संगीता की स्थिति की पुष्टि करते हुए कहा कि राजनीतिक उपेक्षा और अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण आज तक उसे आवास का लाभ नहीं मिल सका है। उन्होंने यह भी कहा कि शासन की मंशा हर जरूरतमंद को छत देने की है, मगर जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की हालत चिंताजनक है।