
अयोध्या।
देवकाली-वज़ीरगंज क्षेत्र में गंभीर रूप से घायल एक खच्चर की जान तब जाकर बची, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने हस्तक्षेप कर एसपीसीए सुलतानपुर को निर्देश देकर तत्काल इलाज व आश्रय की व्यवस्था कराई।
यह मामला तब तूल पकड़ा जब पशु अधिकार कार्यकर्ता प्रज्ञा गुप्ता द्वारा 27 जून को जिलाधिकारी को आवेदन देने, 22 से अधिक आरटीआई व 20 से ज्यादा आईजीआरएस करने के बावजूद नगर निगम व प्रशासन की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
नगर आयुक्त से लेकर सीवीओ और अपर नगर आयुक्त तक सभी अधिकारियों ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा। सोशल मीडिया, हेल्पलाइन, यहां तक कि मुख्यमंत्री कार्यालय को टैग करने और कॉल करने के बाद भी कोई जवाब नहीं आया। 12 जुलाई को मेनका गांधी के निर्देश के बाद ही खच्चर को सुरक्षित एसपीसीए सुलतानपुर भेजा जा सका। यह घटना न केवल नगर निगम अयोध्या की निष्क्रियता, बल्कि प्रशासनिक संवेदनहीनता की पोल खोलती है। अब सवाल उठता है क्या आरटीआई आईजीआरएस, संविधान और कानून सिर्फ कागजों तक सीमित हैं? और क्या राम की नगरी में करुणा सिर्फ मूर्तियों में कैद रह गई है?