अयोध्या नगर निगम की नवम बोर्ड बैठक आज विवादों में घिर गई। निर्धारित समय से लगभग दो घंटे देरी से पहुंचे महापौर ने जैसे ही बैठक की कार्यवाही शुरू की, पार्षदों ने जनहित के मुद्दों पर चर्चा की मांग की। लेकिन इससे पूर्व ही कार्यकारिणी के गठन को लेकर कुछ पार्षदों द्वारा चर्चा शुरू कर दी गई, जिसे आधे से अधिक पार्षदों ने असंवैधानिक करार देते हुए विरोध दर्ज किया।
महापौर द्वारा जनहित से जुड़े प्रस्तावों, शिकायत पत्रों और विकास कार्यों की अनदेखी करते हुए बैठक को अचानक स्थगित कर दिया गया और बिना राष्ट्रगान कराए “जय श्रीराम” के नारे के साथ सदन से बाहर चले गए। इस पर विपक्षी पार्षदों ने कड़ा विरोध जताया।
विपक्षी दल के नेता ने आरोप लगाया कि महापौर जनसमस्याओं और भ्रष्टाचार के मुद्दों से भाग रहे हैं और नगर निगम अधिनियम की अनदेखी करते हुए दूषित मंशा से नई कार्यकारिणी का गठन करना चाह रहे हैं। पार्षदों की मांग है कि जनहित के विषयों पर केंद्रित एक विशेष बैठक शीघ्र बुलाई जाए।बैठक में विरोध जताने वालों में सांसद प्रतिनिधि हामिद जाफर मीसम तथा पार्षद राशिद सलीम घोसी, विशाल पाल, वकार अहमद, सर्वजीत यादव, अखिलेश पांडे, जगत नारायण यादव, इंद्रावती यादव, ज्ञानमती यादव, कौसर परवीन, शहनूर बानो, राम भवन यादव, धरमवीर, मुकेश कोरी, प्रिया शुक्ला, कृष्ण गोपाल यादव व अर्जुन यादव सोमू शामिल रहे।
बसपा, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय पार्षदों ने भी इस निर्णय का विरोध करते हुए प्रेस कांफ्रेंस कर महापौर पर जनहित की अनदेखी का आरोप लगाया है। बैठक के दौरान पार्षदों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संविधान की मर्यादा बनाए रखने की मांग की।