माझा जमथरा में कभी भी हो सकता है खूनी संघर्ष
फर्जी खतौनी धारक भूमाफिया व राजस्व अधिकारी मिल कर रहे खेल
फर्जी खतौनी बनाकर बेंची जा रही अरबो की बेसकिमती जमीन
अवैध कब्जेदार सहायक अभिलेख अधिकारी और सर्वे लेखपाल / कानून गो की मिली भगत से जमीनों पर कब्जे का धंधा जोरों पर
अयोध्या। अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर से मात्र दो सौ मीटर दूर मांझा जमथरा में अरबों की भूमि का घोटाला किया जा रहा हैl 1984 से 2022 तक इस गाँव को अभिलेख पक्का गांव नही बनाया जा सका है।जिले के जिम्मेदार अधिकारी यहां अपने लोगों को कब्जा कराने में लिप्त हैं व इसके एवज में करोड़ों कमा रहे हैं। यह सिलसिला जिला प्रशासन व राजस्व विभाग की देखरेख में हो रहा है। ग्राम माझा जमथरा क्षेत्र के चकबंदी से बाहर होने कारण राजस्व अधिकारियों की चांदी,खतौनी लेके घूम रहे असली भूमि स्वामी,कब्जा बेचकर करोड़ पति बने अवैध कब्जेदार । 40 से 50 हजार विस्वा वसूली कर रहे अवैध कब्जेदार सहायक अभिलेख अधिकारी और सर्वे लेखपाल / कानून गो की मिली भगत से जमीनों पर कब्जे का धंधा जोरों पर चल रहा है हालात यह है कि यहां कभी भी हो खूनी संघर्ष हो सकता है।
ज्ञातव्य है कि श्री राम जन्मभूमि निर्माण की घोषणा के पश्चात अयोध्या भू माफियाओं और इन्वेस्टमेंट करने वाले अधिकारियों , राजनेताओं , व्यवसायियों की पहली पसंद बन गयी। अयोध्या की जमीनों की कीमतें एक तरफ जहां आसमान छूने लगी वही रामजन्मभूमि के बेहद करीब का लगभग 1200 एकड़ का सर्वथा उपेक्षित माझा जमथरा क्षेत्र जो आज भी अभिलेखों में डूब क्षेत्र है और जिसकी आजादी के बाद से आज तक चकबन्दी नही हो पाई वो जमीन अवैध कब्जेदारों और राजस्व अधिकारियों के लिए राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से करोड़ो कमाने का जरिया बन गयी । बताया जाता है कि इस क्षेत्र में बड़ा निवेश एक स्थानीय सत्ताधारी विधायक के परिवार , सत्ताधारी दल के महापौर , राजस्व के कई बड़े अधिकारी , वरिष्ठ प्रसासनिक अधिकारी एक पूर्व आयुक्त का है जिन्होंने राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध कब्जेदारों को मोटी रकम देकर किसी की खतौनी किसी के भी खेत पर जबरन स्थापित करवा कर मनचाही भूमि पर कब्जा प्राप्त कर लिया है। इस प्रक्रिया में सहायक अभिलेख अधिकारी की भूमिका पर लगातार उंगलियां उठ रही है। राजघाट पार्क के पीछे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पास एक गौशाला के नाम पर बनी सीमेंट की बाउंडरी वाली भूमि से अक्सर उनका और एक पूर्व आयुक्त फैज़ाबाद मंडल का नाम जुड़ता आया है । बताया जाता है कि उसमें पहले राजस्व कर्मियों ने खेल करते हुए नजूल भूमि को उन्हें कब्जा देकर उनके बैनामे की भूमि को वहाँ स्थापित कर बाउंडरी करवा दी और पूर्व आयुक्त के जाते ही बंधे के किनारे 110 मीटर सर्विस लेन और हरित पट्टी का प्रस्ताव बताकर राजघाट से गुप्तारघाट तक 8 किलोमीटर तक खंभे गाड़ कर बिना नोटिफिकेशन जबरन प्रशासन ने नजूल बता दिया। इस चपेट में उक्त भूमि के आते ही नियम कानून को ताक में रखकर बैनामे की चौहद्दी को दरकिनार कर मनमाने तौर पर दूसरे किसानों की जमीन पर कब्जा दिलाने की फिराक में राजस्व लेखपाल और सहायक राजस्व अभिलेख अधिकारी हैं।
सूत्रों की माने तो देवरहा बाबा की गोशाला की जमीन जो कि एसटीपी प्लांट की जमीन नजूल की है। इस पर सहायक अभिलेख अधिकारी भान सिंह व लेखपाल राम प्रताप यादव ने कब्जा करा दिया है। लेखपाल की ओर से ऐसे मामलों में फर्जी खतौनी जारी किया जा रहा है। यह ऐसे खतौनी होती है जिसका जिल्द में कही उल्लेख नहीं है, इसे धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं।इसकी शिकायत सीएम तक हुई पर कोई कार्यवाही नहीं होने से इस काले धंधे में लिप्त अधिकारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है।माझा जमथरा के खेवट संख्या एक में अक्षय बीबी के नाम से 1345 फसली व 1365 फसली के अभिलेखों में महज 11 बीघा 18 बिस्वा भूमि दर्ज थी l इसमें हेराफेरी कर इस खाते में 600 बीघा भूमि दर्ज कर दी गई हैl इसी तरह जमीन के कई खातों में हेराफेरी कर लेखपाल फर्जी खतौनी बना रहे हैं और अधिकारी बैनामा कर जमीन की बाउंडरी करा कब्जा दिला रहे हैं। खेवट संख्या 15 के गाटा संख्या एक व 57/ 460 में क्रमश: 78 व 25 बीघा जमीन हैl फर्जी खतौनी बनाकर इसी में अभी हाल ही में 70 लाख की जमीन बेंच दी गई हैl इसकी शिकायत सरयू विकास समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने शासन-प्रशासन के अधिकारियों से लिखित रूप से की हैl पर सब तमाशबीन बने हुए हैं। मांझा जमथरा में गाटा संख्या एक में एक हजार 200 बीघा जमीन है जबकि गाटा संख्या 57 में 2 हजार बीघा जमीन हैl इस तरह के संयुक्त खातों के चलते लोगों को उनकी जमीन पर कब्जा नहीं मिल पा रहा है और अधिकारी खुलेआम खेल कर रहे हैं।
पीड़ित खातेदारों ने नाम न छापने की शर्त पे बताया कि सहायक अभिलेख अधिकारी खुद ही माझा क्षेत्र की जमीनों के ब्रोकर बन गए है जिनके दबाव में सर्वे लेखपाल कानून गो गलत काम करने को मजबूर हैं। माझा जमथरा क्षेत्र के मूल खेवटदार अपनी खतौनी लेकर अपनी ही भूमि पर कब्जे के लिए रोज राजस्व और पुलिस के चक्कर लगाने को विवश है और अवैध कब्जेदार 40 से 50 हजार प्रति विसवा की अवैध वसूली करके प्रॉपर्टी डीलर को भूमि पर कब्जे दे रहे है और राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से सर्वे लेखपाल और सहायक अभिलेख अधिकारी की रिपोर्ट लगवाकर कोई भी गाटा संख्या मनचाही जगह पर स्थापित कर कब्जा जमाने का खेल जारी है।जिससे मूल खातेदारों , खेवट दारों में जबरदस्त आक्रोश है ।