63 बटालियन ने मनाया 44 वा स्थापना दिवस

अयोध्या में स्थित 63 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल कैंप परिसर में बटालियन का 44 वा स्थापना दिवस मनाया गया इस आयोजन में श्री छोटेलाल कमांडेंट 63 बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस श्री सरकार राजारमन द्वितीय कमान अधिकारी के अलावा अन्य अधिकारी गड़/ अधीनस्थ अधिकारी गढ़वा जवान होती रहे
सर्वप्रथम कमांडेंट महोदय ने सभी उपस्थित अधिकारीगण आधुनिक अधिकारीगण एवं जवानों उनके परिवारजनों को बटालियन के 44 में स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और बटालियन के इतिहास के बारे में सभी को एक बार पुनः याद दिलाते हैं हुए कहा कि हमारी वाहिनी की स्थापना दिनांक 17 अगस्त 1979 को ग्रुप केंद्र पल्लीपुरम में हुई थी पूर्व के 310 इस वाणी को भारत के विभिन्न कठिन क्षेत्रों में ड्यूटी करने के अतिरिक्त भारत के बाहर श्रीलंका में भी जून 1989 से दिसंबर 1989 तक भारतीय शांति सुरक्षा बल के साथ तैनात किया गया था इसी अनुक्रम में वर्ष 2102 में इस वाहनी को सर्वोच्च पर चलने वाली चुना गया था वर्ष 2002 में इस वाहनी ने ऑप्स पराक्रम में भारतीय सेना के साथ कार्य किया वर्ष 2006 2009 के दौरान वाहन छत्तीसगढ़ में नक्सली ऑपरेशन ड्यूटी हेतु तैनात रही
वाहनी अब तक देश के विभिन्न दुर्गम एवं अतिसंवेदनशील राज्य जम्मू व कश्मीर आंध्र प्रदेश असम छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों में तैनात रहे 63 वी वाहिनी वर्ष 2009 में परिचालन परिवर्तन होने के फलस्वरूप 39 बटालियन के स्थान पर वाणी फैजाबाद अयोध्या में तैनात हुई थी और इस वाणी को राम जन्म भूमि की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया था हम भलीभांति दिए गए दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं
हमारी सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था के परिणाम स्वरूप पुष्पा स्थान की सुरक्षा में अब तक कोई शेर नहीं लगने दी है मैं आप सभी को यह भी अवगत कराना चाहता हूं कि अब तक देश की आंतरिक सुरक्षा का निर्माण करते हुए हमारे 123 वीर जवान ने अपने प्राणों की आहुति दी है मैं इस वाणी के सभी पदाधिकारियों एवं जवानों को ओर से तहे दिल से उन महान शहीद जवानों को जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च ने चार कर दिया है उन सभी वीर जवानों को शत-शत नमन करता हूं वह श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं
कमांडेंट महोदय ने यह भी बताया कि अब तक इस वाणी में तैनात कुल 12 जवानों को उनकी बहादुरी के लिए वीरता पदक से नवाजा गया है जिनमें से दो सहित कार्मिक भी हैं जिनको उनके शहीद होने के उपरांत वीरता पदक से नवाजा गया है एवं 10 जवानों को उनकी सेवा के दौरान उनकी बहादुरी के लिए वीरता पदक से नवाजा गया