हिंदी नयी कहानी आंदोलन का आख़िरी चमकता सितारा थे शेखर जोशी-डॉ अनिल सिंह

अयोध्याधाम।
हिंदी समाज के प्रिय कथाकार शेखर जोशी की याद में ‘स्मरण : शेखर जोशी’ शीर्षक से एक स्मृतिगोष्ठी का आयोजन फ़ैज़ाबाद प्रेस क्लब में जनवादी लेखक संघ और प्रगतिशील लेखक संघ के संयुक्त आयोजकत्व में किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने की। इस अवसर पर शेखर जी को याद करते हुए वरिष्ठ आलोचक रघुवंशमणि, वरिष्ठ कवि अनिल कुमार सिंह सहित डॉ प्रवीण यादव, डॉ प्रदीप कुमार सिंह, पूनम सूद, मोहम्मद इशहाक़, मोतीलाल तिवारी, अशोक तिवारी एवं सत्यभान सिंह ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। स्वप्निल जी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि शेखर जी के जाने से हिंदी नयी कहानी आंदोलन का आख़िरी चमकता सितारा बुझ गया है लेकिन उसकी चमक की स्मृति लम्बे समय तक बनी रहेगी। उन्होंने शेखर जी की विनम्रता का ज़िक्र करते हुए कहा कि आज के समय में ऐसे लोगों का होनाविरल है। उन्होंने कहा कि मध्यवर्ग की त्रासदियों के साथ श्रमशील समाज और खासकर पहाड़ से विस्थापित लोगों के जीवन की समस्याओं का उन्होंने अपने कथा साहित्य में गहराई के साथ चित्रण किया है।

वरिष्ठ कवि एवं प्राध्यापक अनिल कुमार सिंह ने अपने इलाहाबाद प्रवास के दिनों में शेखर जी के साथ बिताए समय और उनसे पारिवारिक सम्बन्धों को याद करते हुए कहा कि वे एक निश्छल व्यक्ति थे। शेखर जी कहानियों में गहरा और तीखा वैचारिक भावबोध मौजूद था। कवि-लेखक मोतीलाल तिवारी ने शेखर जी की प्रसिद्ध कहानी कोसी का घटवार की तुलना चंद्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी उसने कहा था कहानी से करते हुए उसे एक गहरी और संवेदनशील कहानी बताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि-प्राध्यापक विशाल श्रीवास्तव ने शेखर जी को सहज मानवीय सम्बंधों का अद्भुत कथाकार बताया।

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सत्यभान सिंह जनवादी ने शेखर जी को कथा साहित्य के मज़बूत स्तम्भ के रूप में याद किया, उन्होंने कहा कि आज के इस मुश्किल समय मेंशेखर जी जैसे प्रतिबद्ध लेखकों की रचनाएँ हमें निरंतर रास्ता दिखाती रहेंगी।

इस अवसर पर अधिवक्ता कंचन दुबे, नीरज सिन्हा नीर, मुजम्मिल फिदा, कंचनलता, अयोध्याप्रसाद तिवारी, चंद्रप्रकाश, शाश्वत, शोएब, सैफी, सिकंदर, विजय, राम दुलारे, अखिलेश, सत्य प्रकाश, कबीर, संतोष गर्ग, बालकिशन, विनय कुमार, रामजी यादव सहित बड़ी संख्या में शहर के साहित्यप्रेमी, संस्कृतिकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

Sameer Shahi

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