समीर शाही
अयोध्या।
“जबरा मारे निबरा के रोवे न देय”ये कहावत थाना कैंट क्षेत्र के पीड़ित अरुण सिंह पर सटीक बैठती है। जिन्होंने कुछ वर्ष पहले अपनी निजी जमीन पर बैंक से ऋण लेकर शो रूम बनवाया और 2019 में उसे
किया कार कंपनी की दबंगई से परेसान अरुण सिंह न्याय के लिए दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है उनकी सुनने वाला कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक कोई नही है। जब अपनी पीड़ा लेकर वह जिले के बड़े अफसरों के पास जा रहे है तो उन्हें यह कह कर वापस कर दिया जा रहा है कि ऊपर से दबाब है। तुम्हे कंपनी को 6 महीने के समय देना पड़ेगा। जबकि नवम्बर 2022 में अनुबंध की समय सीमा समाप्त होने से चार माह पूर्व ही वह कम्पनी को अनुबंध बढ़ाने या समाप्त होते ही खाली करने की नोटिस भी दे चुके है।पीड़ित अरुण बताते है कि जब अनुबंध खत्म होने पर हमने उसमें बढ़ाने की बात कही तो कंपनी के जिम्मेदारों ने यह कह कर मना कर दिया कि ग्रामीण क्षेत्र में हमारा काम नही चल रहा है हम सिटी में शोरूम खोलेंगे इसे 10-12 दिन में ही खाली कर देंगे।इसके बाद जब 1 दिसम्बर को उन्होंने फिर बात की तो उन्हें मैनेजर ने ऑफिस बुलाकर डारेक्टर से बात कराया जिसके बाद उन्हें धमकी दी गयी। धमकी मिलने के बाद परेसान अरुण सिंह एसडीएम सोहावल से लेकर जिलाधिकारी तक चक्कर काटते रहे लेकिन जब किसी ने उनकी फरियाद नही सुनी तो थक हार कर उन्होंने मंगलवार को शोरूम में ताला लगा दिया। जिसके बाद अब उन्हें पुलिस धमका रही है कि वह कार कंपनी को समय दे नही तो बुरे फ़ंस जाएंगे।
जब इस सम्बंध में *थाना कैंट के प्रभारी रतन शर्मा* से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला अदालत में है ऐसे में हम क्या कर सकते है दोनो पक्षो को शांति बनाए रखते हुए सक्षम अधिकारी से आदेश लाने की बात कही जा रही है। जब मामला सिविल कोर्ट में हो तो ऐसे में पुलिस क्या कर सकती है।