नरसिंह मन्दिर बमबाजी कांड:पुलिस चौकी से 50 मीटर दूरी पर रची गई साजिश
महज 10 मीटर दूरी पर दिया घटना को अंजाम
अयोध्या।
कहते हैं अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो लेकिन कुछ सबूत छोड़ ही देता है। गत दिनों यलो ज़ोन में रायगंज पुलिस चौकी से महज 10 मीटर की दूरी पर स्थित नरसिंह मंदिर पर अवैध कब्जेदारी को लेकर उसकी छत पर बम से हमले के मामले में घटना को अंजाम देने की साजिशें प्याज के छिलकों के मानिंद उधड़ने लगी है।
बता दे कि इस घटना से बमबाजी के मामले में नरसिंह मंदिर की बेशकीमती करोड़ो की जमीनों पर कब्जा करने की नियत साफ जाहिर हो गई है। अयोध्या कोतवाली के हिस्ट्रीशीटर देवराम दास वेदांती ने एक बार फिर 2001 जैसी घटना को अंजाम देने की तैयारी की थी। जब इसने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास पर राम की पैड़ी पर हमला करवाया था। इस बार भी उसी तरह का प्राणघातक हमला नरसिंह मंदिर के पुजारी राम शंकर दास पर बम से हुआ। हालांकि इस हमले में उन्हें बहुत ही मामूली चोटे पुजारी राम शंकर दास के लगी है।
सूत्रों की माने तो इस हमले की पूरी तैयारी सोची समझी रणनीति के तहत की गई थी। घटना की पूरी साजिश इस मामले के आरोपी पुलिस चौकी रायगंज से 50 मीटर दूरी पर रहने वाले जय गोविंद तिवारी के घर में ही कई दिनों तक देवराम दास वेदांती ने अपने साथियों के साथ मिलकर की थी। साजिश के अनुसार ही उसके गुर्गे नरसिंह मंदिर में जाकर भंडारा कराने के नाम पर रुके हुए थे। जबकि उनकी मंशा लगातार मंदिर पर कब्जेदारी की थी। इसे भगाने के लिए राम शंकर दास ने कई बार पुलिस को शिकायत भी की थी। सूत्र बताते है कि आरोपी जय गोविंद तिवारी अपने घर पर ही देवराम दास व उसके गुर्गों को अवैध कब्जेदारी की घटना के मुख्य षड्यंत्रकारी महेंद्र त्रिपाठी और दधिबल तिवारी को बुलाकर उनकी मीटिंग करवाता था। इन्हीं दोनों षड्यंत्रकारियों की देख रेख में पूरा प्लान बनाया गया और घटना को अंजाम देने के लिए सभी की अलग अलग भूमिका भी तय की गई। घटना के 1 दिन पूर्व देर शाम गुरुवार को भी देवराम दास वेदांती ने महेंद्र त्रिपाठी आदि से जय गोविंद तिवारी के घर पर मुलाकात की थी और सूत्र बताते है कि उसी दिन इस घटना को अंजाम देने की अंतिम रणनीति पर सबकी सहमति बनी थी। यानी कि उसी दिन पुजारी राम शंकर दास पर हमला करने की बड़ी साजिश का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। उसी योजना के अनरूप ही आरोपी महेंद्र त्रिपाठी ने पुलिस को गुमराह करने के लिए बम बाजी की घटना के बाद पुजारी को फसाने के लिए सोशल मीडिया पर भ्रामक खबर भी वायरल कर प्रशासन का ध्यान भटकाने का भी कुत्सित प्रयास कर अपनी योजना को कामयाब करने की कोशिश की। इसकी पुष्टि तो तब हुई जब पुलिस को दो पत्र हाथ लगे और उस पत्रों में एक में महेंद्र त्रिपाठी तो दूसरे में दधिबल तिवारी के हाथों की लिखावट पाई गयी। सूत्र बताते है कि अब उन पत्रों की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पुलिस ने उसे हैंडराइटिंग एक्पर्ट को भेजने का भी फैसला किया है। इन पत्रों ने ही देवराम दास वेदांती के साथ इन सभी लोगो के कनेक्शन की पोल खोल कर रख दी है। मंदिर से गिरफ्तार देवराम दास वेदांती के गुर्गों के पास से उनके आधार कार्ड आदि में चेला के तौर पर देव रामदास वेदांती का नाम साफ तौर पर अंकित है। इसके अलावा मंदिर में गुर्गों के उपयोग हेतु इनवर्टर आदि जो लगाए गए है उन सामानों के बिल में भी देवराम दास वेदांती का नाम लिखा हुआ पाया गया। है।
सूत्र तो यहां तक बताते है कि घटना के बाद उन्ही आरोपियों में से किसी एक का बड़ा बेटा घटनास्थल पर बम निरोधक दस्ता तथा डाग स्क्वायड के पहुंचने से पहले ही स्वयं पहुंचकर बमबाजी के बाद सबूतों को मिटाने का भी प्रयास किया था। लेकिन वह अभी तक पुलिस की नजर से छुपा हुआ है।