महापौर पद प्रत्याशी शरद पाठक बाबा बने तिलोंदकी नदी के लिए भगीरथ

अयोध्या।

त्रेतायुग में पवित्र गंगा को धरती पर लाने वाले राजा भगीरथ के बारे में हम सभी जानते हैं। ऐसे ही प्रयास से आज अयोध्या की विलुप्त हो चुकी तिलोदकी गंगा को पुनर्जीवन मिल रहा है। विलुप्त हो चुकी पौराणिक महत्व की तिलोदकी गंगा का अस्तित्व भी अब धरातल पर दिखने लगा है।
लेकिन इस प्रयास के पीछे विगत तीन साल से अनवरत आंदोलन करने वाले शख्स बने समाजसेवी मित्रमंच प्रमुख शरद पाठक बाबा।

मित्र मंच प्रमुख शरद पाठक बाबा बताते है कि रामनंगरी की पवित्र तिलोंदकी गंगा का अस्तित्व विलुप्त हो चुका था। समय बीतने के साथ लोग इसे भूलने लगे और स्थानीय लोग इस पवित्र नदी को तिलैया नाला बोलकर दशकों से अपमानित करते रहे।
जबकि तिलोंदकी गंगा मैया सरयू की पवित्र धारा से निकली है। इसलिए इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। विलुप्त हो चुकी तिलोंदकी गंगा के पुनरुद्धार के लिए मित्रमंच संस्था और उसके सैकड़ो समर्थकों ने वर्षो आंदोलन ही नही किया लोगो को जा जा कर इस पवित्र नदी की महत्व से अवगत कराया। 14 नवम्बर 2019 को मित्रमंच प्रमुख की योजना के अनुसार कार्यकताओं ने नदी के उद्गम स्थल से निकलने वाले मार्गो का भी स्थलीय सर्वेक्षण भी किया और वहां पूजन करके खुदाई भी किया गया। मित्रमंच ने इस नदी के पुनरुद्धार के लिए स्कूल कालेजो से लेकर विश्वविद्यालय तक मे जाकर जागरूकता कार्यक्रम बड़ी शिद्दत से चलाया। जहां जहां नदी 5-6 फ़ीट चौड़ी दिखी वहां भी मित्रमंच ने खुदाई का कार्य कराया। मित्रमंच प्रमुख शरद पाठक बाबा ने इस पवित्र नदी के पुनरुद्धार के लिए डिप्टी सीएम बृजेश पाठक व कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद से भी मिलकर सहयोग मांगा गया। श्री पाठक बताते है कि पहले हमारी लड़ाई मात्र 10 या 12 किलोमीटर नदी की थी बाद में राजस्व अभिलेखों में पता चला कि ये नदी 30 किलोमीटर से अधिक लंबी है। लेकिन जब प्रशासन ने इस नदी का सर्वे कराया तो पता चला कि यह नदी तो 42 किलोमीटर लंबी है। मित्रमंच प्रमुख शरद पाठक बाबा कहते है कि 3 वर्षो की कोशिशों का परिणाम यह है कि अब हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज
,डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मंडलायुक्त नवदीप रिणवा जिलाधिकारी नीतीश कुमार अयोध्या विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विशाल सिंह सीडीओ अनिता यादव ने इस नदी के पुनरुद्धार की बड़ी योजना बनाकर पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है जोकि अत्यंत सराहनीय है।

गौरतलब हो कि रामनगरी में अंधा-धुंध निर्माण और अतिक्रमण ने तिलोदकी गंगा को पहले नाले में बदल दिया और फिर धीरे-धीरे इसका अस्तित्व ही समाप्त होने लगा था। जिले से होकर बहने वाली नदियों में सरयू, गोमती, तमसा, बिसुही और कल्याणी के साथ पौराणिक तिलोदकी गंगा भी शामिल है। शताब्दियों पहले यह नदी बहा करती थी, लेकिन बाद में उथली होने के कारण धीरे-धीरे यह संकरी होती गई और कई स्थानों पर तो लुप्त ही हो गई। इसे खोज निकालना किसी भगीरथ प्रयास से कम नहीं था। रामनगरी में तिलोदकी के अस्तित्व को ढ़ूंढ़ निकालने में नगर आयुक्त विशाल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है। अपने क्षेत्र के राजस्व अभिलेखों को खंगाल कर तिलोदकी को पुनर्जीवन देने में उन्हें कई अड़चनों का सामना भी करना पड़ा। कभी अतिक्रमणकारियों से निपटना पड़ा तो कई और अवरोध भी आये, जिनका सामना करते हुए वर्तमान में चार किलोमीटर तक तिलोदकी का स्वरूप उजागर कर दिया गया है। बूथ नंबर चार से महोबरा तक तिलोदकी गंगा की खोदाई पूर्ण हो चुकी है, जिसमें पानी भी दिखने लगा है। पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए इसे आसपास के कुंड एवं तलाबों से भी जोड़ा जा रहा है। तिलोदकी को पुनर्जीवित करने की मुहिम में लगे राकेश सिंह कहते हैं कि अभिलेखों का अध्ययन करने पर ज्ञात हुआ कि सोहावल तहसील के पंडितपुर गांव से निकल कर तिलोदकी गंगा सदर तहसील के शहनवाजपुर होते हुए सरयू में मिलती है।

 

Sameer Shahi

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