अयोध्याउत्तर प्रदेशधर्म

शांति पाठ और भव्य भंडारे के साथ ब्रम्होत्सव का आयोजन

 

अयोध्या।
वासुदेव घाट स्थित त्रिपाठी सदन में स्वामी अवधेशानंद जी के नेतृत्व में स्वामी करुणासागर जी के निर्वाण प्राप्त होने के उपलक्ष्य में शांति पाठ एवं भव्य भंडारे के साथ ब्र म्होत्सव का आयोजन किया गया।

डॉ रामानंद मौर्य ने बताया कि स्वामी जी का जन्म सन 1956 ई0 में केरल में हुआ था। इनका बचपन का नाम करुणाकरन् था। 12 वर्ष की अवस्था में इन्होंने इन्होंने गृह त्याग किया और ऋषिकेश के शिवानंद आश्रम के तत्कालीन अधिष्ठाता से ब्रह्मचारी की दीक्षा ली।

वहां रहकर अष्टांग योग और वेदांत की शिक्षा प्राप्त की। सन 1978 में उन्होंने अयोध्या के श्री मणिराम दास छावनी के महांत श्री नृत्य गोपाल दास जी से राममंत्र की दीक्षा ली, इसके उपरांत उन्होंने श्री मणिराम दास छावनी के पुस्तकालय वाल्मीकि शोध संस्थान में सेवा कार्य किया।अपने वरिष्ठ गुरुभाई एवं मणिराम दास जी की छावनी के तत्कालीन मुख्य कार्याधिकारी श्री अनंतराम दास जी महराज के सानिध्य में रह कर इन्होंने दर्शनशास्त्र से एम 0ए0 तथा वेदांत से आचार्य की उपाधि प्राप्त की तथा श्री मणिराम दास जी की छावनी से निकलने वाली पत्रिका अवध मणि प्रभा के संपादन कार्य के दायित्व का भी निर्वहन किया

 

इसी क्रम में डॉ सुशांत त्रिपाठी ने बताया कि स्वामी जी सन 1987 से निरंतर योगाभ्यास की कक्षाओं का संचालन करते रहे और योग के षटकर्म, आसन ,प्राणायाम ,त्राटक एवं ध्यान आदि विधियों का शिक्षण अपने जिज्ञासु साधकों को प्रदान करते रहे। यही नहीं स्वामी नृत्य गोपाल दास जी की छत्रछाया में उन्होंने यूनिवर्सल योग साधना केंद्र की स्थापना की जिसके अंतर्गत 1997 तक योग साधना का प्रचार प्रसार होता रहा । इसके उपरांत परिव्राजक व्रत धारण करके भारत भ्रमण का संकल्प लिया और भ्रमण के दौरान ऋषिकेश में स्थित कैलाश आश्रम के स्वामी विद्यानंद जी के सानिध्य में आए।
सन 2006 में उनसे संन्यास की दीक्षा प्राप्त की और स्वामी विद्यानंद जी ने उन्हें पंजाब के पटियाला में स्थित समाना नामक कस्बे में अपने आश्रम का प्रभारी बना दिया। 2011 में स्वामी जी ने अपने एक अलग आश्रम की स्थापना की।2016में पुनः परिव्राजन के लिए निकल पड़े, इसके बाद उनके अंतर्मन में नर्मदा की परिक्रमा करने की उत्कंठा जागृत हुई और मां नर्मदा की परिक्रमा के लिए वे निकल पड़े। इसी परिक्रमा के दौरान खारगौन स्थित नर्मदा तट पर एक पुराने मंदिर में महा समाधि की अवस्था प्राप्त की एवं ध्यानस्थ अवस्था में अपने ब्रह्मरंध्र का भेदन करके 27 अगस्त 2022 को ब्रम्हलीन हो गये। ब्रम्होत्सव कार्यक्रम में मणिराम दास जी की छावनी के अधिकारी पंजाबी बाबा , पुनीतराम दास जी, गिरीश पति त्रिपाठी जी, परशुराम दास जी ,श्याम बाबू गुप्ता पूर्व विधायक टांडा, अमर सिंह ओ पी एस इंटर कॉलेज फैजाबाद ,पूर्व प्राचार्य आनंद मोहन श्रीवास्तव साकेत महाविद्यालय, आचार्य शिवेंद्र, पवन दास जी फलहारी , मानस दास जी, मिथिला बिहारी दास जी आदि संत एवं स्वामी जी के भक्त उपस्थित रहे।
सभी लोगों ने स्वामी जी की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए स्वामी जी के साथ बिताए हुए पलों को याद करके उनकी आंखें नम हो गई।

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