हाय!ये गरीबी ,कैसी है ये गरीबी…

गरीबी

हाय!ये गरीबी ,कैसी है ये गरीबी,
भगवान क्यों बनाई ये गरीबी?
कोई प्यार का गरीब है,
तो कोई पैसे का गरीब।
कोई दोस्तों में गरीब है,
तो कोई रिश्तों में गरीब।
हाय ये गरीबी……………ये गरीबी ।।
इस गरीबी ने तो,
मिटा दी है लोगों की गरीबी।
कोई पैसे कमाने में पिट गया,
कोई रो पड़ा इस कश्ती में,
तो कोई को गया इस बस्ती में।
मैं तो हूं अमीर इस बस्ती की,
मैं तो हूं समीर इस कश्ती की।
क्या बताऊं अपनी यारी,
मुझको तो कहती अमीर
ये दुनिया सारी।
हे ईश्वर! शिवानी की बस इक विनती,
मिटा दो गरीबी इनकी -(2)

शिवानी श्रीवास्तव®
छात्र एवम कवित्री
जनपद – फैज़ाबाद (अयोध्या) उत्तर प्रदेश

Sameer Shahi

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