काश ! सुन,सुन मैं तेरे तन को नही , तेरे मन को चाहता हूं,

 

काश!काश
सुन ,सुन,सुन मैं तेरे तन को नही ,
तेरे मन को चाहता हूं,
मेरा दिल तेरे जिस्म पर नही,
तेरे दिल पर आया है।
सुन,सुन न पगली,
आज मैं तुझे बताना चाहता हूं,
कि मैं तुझे कितना चाहता हूं।

काश!काश मैं तेरे इयरफोन का माईक होता,
इसलिए नहीं कि मुझे तेरे होठों से चिपकने का शौक है,
बल्कि मैं तेरे होठों की वो प्यारी सी मुस्कुराहट सुनना और महसूस करना चाहता हूं,
झूठी मुस्कुराहट के पीछे का वजूद मिटाना चाहता हूं।
सुन,सुन,सुन ना पगली ………चाहता हूं।

काश!काश मैं तेरी जुल्फें होता,
जिसे तू अपनी अंगुलियों से घुमाती रहती है,
इसलिए नही कि वो मुझे पसंद है,
बल्कि इसलिए क्योंकि सुना है,
जुल्फें घुमाते वक्त लड़कियां कुछ सोचा करती हैं,
तो सुन मैं तेरी जुल्फें बनकर तेरी अंगुलियों से लिपटकर तेरी सोच की गहराइयों तक उतरना चाहता हूं,
और तेरी सारी चिंताओं को मिटाना चाहता हूं।
सुन,सुन,सुन ना पगली……….चाहता हूं।

काश!काश मैं तेरे सूट का दुपट्टा होता,
इसलिए नहीं कि तू उसे अपने तन पर ओढ़ती है,
बल्कि इसलिए क्योंकि मैं तेरे दिल की धड़कनों को महसूस करना चाहता हूं,
मैं तेरा दुपट्टा बनकर तेरे कंधे का बोझ नहीं,
बल्कि कंधे के बोझ का सहारा बनना चाहता हूं,
सुन ,सुन,सुन ना पगली ……..चाहता हूं।

काश!काश मैं तेरी आंखों का चश्मा होता,
जिसे तू दिन भर में 18घंटे लगाती है,
इसलिए नहीं कि मैं तेरी निगरानी रखना चाहता हूं,
बल्कि इसलिए क्योंकि मैं जानना चाहता हूं कि तेरी आंखें कब रोती हैं,
और किसकी वजह से रोती हैं,
मैं तेरी इन प्यारी आंखों में आंसू लाने वाले को उसकी नसीहत दिखाना चाहता हूं,
और सुन,मैं तेरा चश्मा बनकर तेरा आंसू रोकना चाहता हूं।
सुन,सुन ना पगली ……चाहता हूं।।®

Sameer Shahi

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